दृष्टिकोण-उदारवादी, मार्सक्स्वादी, गाँधीवादी

LESSON-1, दृष्टिकोण-उदारवादी, मार्सक्स्वादी, गाँधीवादी-दुसरे विश्वयुद्ध के बाद अश्चार्येजनक घटना=भारत में लोकतंत्र कायम, A-परंपरागत उपागम =-एतिहासिक=तथ्य, वर्तमान अतीत का फल,A.K. Kith-bharat ka itihaas=६० वर्षों से प्रयोग चल रहे हैं; भारत एक खोज,गाँधी,अरविंदो घोष, ऐतिहासिक परिवर्तन, २-कानूनी= B.N. Rao (Book)=Indian Constitution Making, धाराएं,D.D. Basu, Subhash Kashyap, ३-दार्शनिक=रजा राम मोहन राय/गाँधी= जाती/लिंग/आडम्बर/अन्धविश्वास, ४-संस्थानात्मक=अन्ये देशों से तुलना, ब्रिटेन, चाइना, राजनितिक अध्ययन पर बल, B-आधुनिक दृष्टिकोण= 1-समज्शास्त्रिये=समज्शास्त्रिये सिधान्तों का अध्ययन-हिंदू/मुस्लिम/सिख 2- राजनैतिक व्यस्था= devid easten की पुस्तक "दा पॉलिटिकल सिस्टम-1858=नीतियाँ निर्धारण, बाध्यकारी शक्तियां, devid estn ka nivesh nirgat vishleshan= निवेश(मांगें/समर्थन)=>व्यस्था=>निर्गत(निर्णय/नीतियां)=>पुनःनिवेश (फीडबैक= त्रुटियां सुधरने का मौका नकारात्मक/ लक्ष्यपरिव्र्न) =;
; 3-राजनितिक विकास= १-समय के साथ सकारात्मक सिधान्तों द्वारा सर्वांगीं विकास, २-अमर्सन/Lipsed/Colman="रा विकास=आर्थिक विका", ३-रोस्तोव ने = औधोगिक समाजों की विशेष राजनीती, ४-Mirdl/Lerner="राज आधुनिकीकरण", ५-जल्दबाजी या डंडे के जोर पर नही बल्कि ६-सर्व सम्मति से, ७-एकसूत्रता कायम, 4-व्यहरवादी= १-Practical बातो पर जोर, २-समूह के आचरण पर बल, ३-अनुभवी तरीकों का प्रयोग, ४-धनवान चुनाव में जीतता, गरीब मूकदर्शक 5-गाँधीवादी=१-पाहिले भारत के ग्रामीण माहौल को समझो, २-पश्चिम की नक़ल मत करो, ३-गाँधी, विवेकानंद, अरबिंद- भारत की विविधता को समझा, ४-प्रो मेहता="Ideology, Modernization & Politics in India"-बिखराव=वीसंगतियों में था, 6-मार्क्सवादी= १-धनपति आगे रहेते, २-औपचारिकता (formalities) को कम महत्त्व, ३-समग्र्वाद(विस्तृत सोच) पर बल, ४-शक्ति (पैसे/ताकत) को बल ५-पूंजीपतियों की रक्षा की गई है- मुआवजा+प्री वी पर्स, भारतीये राज्ये की प्रक्रति : स्वंत्र, प्रभुत्व संपन्न राष्ट्र, जनतांत्रिक गणराज्य, संस्थागत ढांचा, सैन्ये ताकत, A-उदारवादी- ऐडम स्मिथ, जन लाक, गांधीजी, विवेकानंद आदि, B-लोकतान्त्रिक प्रकर्ति- १-अन्तिम सत्ता जनता में, २-व्यस्क मताधिकार (अनु-326), ३-सामान्य मतदाता सूचि (अनु 325)- ४-पाँच वर्ष में चुनाव - तानाशाही नही, C-उदारवादिता और संस्थाएं : 1070 के दशक से राजनीती का अपराधीकरण हुआ, रजनी कोठारी= नव धनाड्य वर्गों द्वारा शोषण हुआ, D-उदारवादी प्रकर्ति: आर्थिक पहलु : सूक्षम राजनीतिक अर्थव्यस्था, Francine R. Frankel "जन शक्ति = उदार राजनीती और अति सामाजिक परिवर्तन का विरोधाभास", रुडोल्फ= "भारत धनि व निर्धन राष्ट्र + निर्बल राज्ये का विओधाभास है", E-मार्क्सवादी प्रकर्ति : १-मार्क्सवाद परिभाषा-राजनीती एक वर्ग उपकरण, २-पूंजीपति वर्ग का रक्षक=राजाओं को प्री वी पर्स, ३-पूंजीपतीओं को संविधानिक गारंटी दी गई थी, प्री वी पर्स, संविधान में गारंटी ४-धनि और धनि गरीब और गरीब बना- किसान/जमींदार=अमीर, मजदूर=शोषण, ५-राजनितिक ढांचे पर विशिष्ट वर्ग का प्रभुत्व=आमिर बच्चे कॉन्वेंट में गरीब = मजदूर, ६-रजनी कोठारी=CPI और MCP के पास घिसे पिटे एजेंडा जैसे बर्जुआ, छोटे बर्जुआ, बड़े जमींदार, लेकिन उनकी अपनी ही पार्टी में दलितों का स्थान बहुत कम है; F-वामपंथी प्रक्रति/दृष्टिकोण: CPI - CPCU के आधार से बनी थी, 1950 सामंती और अर्ध उपनिवेशी रूप में थी, CPI(M) ने अपने कार्यक्रम में भारतीये राज्ये को बर्जुआ और भू स्वमिओं के शासक वर्ग का अंग मन, नक्सलवादी भी अब एक नही रह गए हैं- CPI(LM) भी विभाजित हो गई है, वामपंथी निष्कर्ष= भारत एक अर्ध सामंती और अर्ध उपनिवेशी राज्ये है जिसने अभी वास्तविक स्वंत्रता प्राप्त नही की, G-बुद्धिजीवी मार्क्सवादी स्वरुप/दृष्टीकोण= A.R. Desai="भारतीये राज्य के पास अपनी कोई स्वायतता नही है यह धनि वर्ग की चापलूसी पर निर्भर, C.P. Bhambhri="पूंजीपतीओं ने अपने हितों + देश पर शासन हेटी गठबंधान निर्माण किया, A.R. Desai="परस्पर विरोधी दिखने के बाद भी भारतीये राज्ये पुन्तिवादी राज्ये है" Ajeet Rai="यह तानाशाई का एक अंग है";H-सापेक्षिक स्वायत्तता स्वरुप/दृष्टिकोण- हजम अल्वी="भारतीये राज्ये एक तरफ़ सैन्ये नौकरशाही/आर्धिक स्वायत्त तथा तुसरी तरफ़ धनि वर्गों से प्रभावित"; समाज तीन वर्गों मी मध्यस्थता/सामान्ये भलाई करता= १-महानागरिये मध्ये वर्ग, २-देशी माध्यम वर्ग ३-भूपति वर्ग, साथ साथ सुरक्षा भी करनी होती, मनोरंजन मोहंती="भरती राज्य दोहरी राज्य प्रणालियाँ/जटिल-सामाजिक बंधनों से युक्त है, रंजित साहू="पूंजीपतियों और नौकरशाहों का प्रभुत्व है लेकिन फ़िर भी ये एक दुसरे से सहयोग नही करते", मस्क्स्वादी="राज्ये वैध हिंसा का एकाधिकारी एजेंट है, शोषित जनता का विकास करता है, राज्ये शासक वर्ग का राझितिक नेता है, इसका न्ग्रेत्व ही शासक वर्ग के अन्दर विरोधी गुटों को संगठित करता, एक तरफ़ समाज का पुनः निर्माण करता-दूसरी तरफ्पराम्परिक/सामंतवादी समाजों का विघटन करता; I-भारतीये राज्ये की प्रक्रति: गाँधीवादी दृष्टिकोण: गाँधी=1915 अफ्रीका से इंडिया, दार्शनिक, उदारवादी/ विदेश में भी परिवर्तन, स्वयं पर प्रयोगकर्ता, जिवें जीने की काला, सर्वांगीण/बहुमुखी विकास, केवल सुंदर सिधांत अपनाए, विकेंद्रीकरण समर्थक, विचार भारतीये जीवन अनुकूल थे, गावों/ग्रामीण विकास समर्थक, पंचायत समर्थक, वर्ग संघर्ष विरोधी थे=मशीनों/ कारखानों का विरोध क्यूंकि इससे वर्ग संघर्ष की उत्पत्ति होती ; सत्य/अहिंसा/प्रेम/ भाईचारा/ शोषण ख़िलाफ़-जेल यात्रा, ; पूंजीपति/जमींदार/साहूकार = को मजदूरों/किसानों/दरिद्रों पर अद्याचार नही करके उनकी रक्षा करनी चाहीये, भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण (Globalisation) के ख़िलाफ़= शोषण बढेगा, गांधीजी के सामाज के सम्बन्ध में विचार= कुरीतिओं दूर- छुआछूत/जातिवाद/ हरिजन क़ानून/ अंतर्जतिये विवाह/ पखाना/सामाजिक चेतना/सर्व धर्म सद्भावना/ पाहिले स्वयं पर प्रयोग, आर्थिक समानता= वर्ग शोषण/हुक्मबरदारी ke खिलाफ, कुटीर उद्योग, स्वदेशी, इंसान अपनी अवश्क्तायें कम/संतोषी हो, राज्ये विहीन लोकतंत्र चाहते थे= राज्ये शोषण करता, विदेशी का बहिष्कार, ग्राम स्वाराज्ये स्वरुप = राम्रज्ये का स्वप्न, अहिंसा, आत्मनिर्भर ग्राम, स्वशासी- ग्राम, पंचायेत=>खंड/मंडल पंचायतें=>जिला पंचायतें=> प्रान्तों की पंचायतें.