दलित बहुजन, पितृसत्ता/वर्ग संरचना

दलित बहुजन, पितृसत्ता/वर्ग संरचना- १.जातिवाद-जातिप्रथा- भारत में हजारों जातियां/श्रेणिया,
2.दलित, बहुजन समाज
- 1000 साल से, खासकर दलित, आर्यों ने दलित जबरदस्ती बनाये, शोषण हुआ, 3-गोविन्द राव ज्योतिराव फुले - बहुजन समाज, दलितउत्थान किया, 1848 में he/his wife ने लड़कियों का पहिला स्कूल, sep.1873-74 सत्य शोधक समाज- दलित शिक्षा और ब्रह्मण शोषण बचाव हेतु, जातिवाद/मूर्तिपूजा वेदों/ब्राहमणवाद विरोध; वैदिक काल से समाज चार भागों में विभाजित-a.ब्राहमण-शुभ कार्य,शिक्षा, कुँए,तालाब,मन्दिर, b.क्षत्रिये- सैनिक, c.वैश्य-व्यापार,कृषि,उद्योग, d. shudra varan, e.आदिवासी(ST)-जंगल में; 4-दलितों का इतिहास- a.बहुजन समाज=निम्न जाती, sc/st/obc; b.द्विज/स्वर्ण जातियां=ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य; ब्राहमणवाद=भेद भाव; 6-डा आंबेडकर/ज्योतिराव फूले- ऊपर लिखा सभी+ १८७३ में आह्वान किया की शादी/समारोह/पूजा/पाठ में से ब्राहमण का बहिष्कार करो- परेशान होकर ब्राहमण पुजारी विश्वनाथ अवाजी ने न्यायाधीश रानाडे केस- फ़ैसला उल्टा ही आया, निराशा हुई, लेकिन इससे आन्दोलन मजबूत हुआ + दावा किया की वर्तमान दलित प्राचीन काल में भारत में मूल निवासी थे- द्विज आर्य जातियां आई, शोषण किया, आंबेडकर ने -जाँच पड़ताल की, जैसे हिंदू दर्शन, शुद्र कौन थे, हिंदू धरम पहेलियाँ, कोंग्रेस/गाँधी अछूतों के लिए क्या किया, आंबेडकर जी ने - 1936 में हिंदू धर्म त्याग, "हिंदू जनम मेरे बस में नही था लेकिन मई हिंदू बनकर नही मरूँगा"; पेरियार ने दक्षिण राज्यों में आन्दोलन किया; राजनीति में दलित : ब्रिथ्श शासन पहेली बार 1917-18 साऊथबरों कमेटी में दलित को भेजा, गोल मेज़ लन्दन १९३० में दलित का प्रतिनिधित्व डॉ आंबेडकर - आरक्षण की मांग की, गाँधी ने विरोध + आमरण अन्न्शान्न किया - गाँधी आंबेडकर समझौता = १.विधानसभा में दलित सीट 78 से बढाकर 148 करो, .केन्द्रिये विधान सभा में 18% दलित सीट करो, ३.के विध सभा में दलितों प्रतिनिधि मिले जुले निर्वचान क्षेत्रों के सिद्धांत अनुसार निर्वाचित किए जायें, ४.निर्वाचन आरक्षण १० वर्ष के लिए करो, ५.अरक्षीत सीटें हटाने हेतु sc/st मतदान लो, ६.दलितों का मताधिकार प्रबंधन लोथियन कमिटी की रिपोर्ट पर किया जाएगा, यह समझौता पुन में हुआ, दलितोथान - संविधानिक प्रावधान/ कार्यक्रम (अनुछेद/धाराएँ) - १.अनु १५(२)- सार्वजानिक स्थल पर समानता,.अनु १५(४)- प्रतिक्रियात्मक/संरक्षनात्मक भेदभाव रोको, 3.अनु १६(४) पदों के आरक्षण, ४.अनु १७ - अस्पर्श्यता=दंडनिये, ५.अनु १९(५)- आम व्यक्तिओं को संपत्ति खरीदने/बेचने पर प्रतिबन्ध, ६.अनु ४६- शोषण के विरूद्ध, अनु ३३०,३३२,३३४- राजनीती में आरक्षण, लोकसभा में SC-79, ST-40, राज्य विधान सभा में sc=557, st=279, अनु २४३(घ) (१) पंचायत में sc/st आरक्षण, ८.अनु ३३५- परीक्षाओं में अंकों में छूट, ९.अनु ३३९-३४२- राष्ट्रपति अधिकार, आयोग के कर्त्तव्य a.कानूनों की निगरानी, b.शिकायतों की जाँच, c.सामाजिक आर्थिक विकास की योजना बनाना, d.राष्ट्रपति आयोग को वार्षिक रिपोर्ट देगा; दलित सहभागिता/राजनीति (वर्तमान हाल)- झूठे वादे किए गए सब राजनितिक चाल थीं, आज तक भी हालत क्योँ बिगडे हैं ? १.आरक्षण की ईमानदारी से लागु नही किया गया, २.जानबूझकर जटिल बनाया, ३.दलितों को कभी भी प्रशसान में या उच् पदों पर नही डाला, ४.निष्पक्ष मूल्यांकन नही हुआ; OBC भी जरुरी, राजस्थान में obc sc/st बराबर कोटा चाहते हैं, आज भी कोटा सीटें खली पड़ी हैं, (टोटल 34,99,822 जिसमे sc=651,387=18.61%, aur st=2,14,113=6.12%, आराक्शान के नाम पर दलित-दलित को लड़ाया जा रहा, नाम के लिए बड़ी पोस्ट दे देते लेकिन practically भी कुछ होना जरुरी ---xxxxxxxxx----