राष्ट्रिये आंदोलनों का विकास

LESSON.२: राष्ट्रिये आंदोलनों का विकास : ईस्ट इंडिया कंपनी (cotton sikl, indigo dye, Tea, KNO3 Potasium Nitrate, अफीम व्यपार), 1757 प्लासी युद्घ, 1858 ब्रिटिश राज, 1947 पकिस्तान विभाजन; 200 वर्षों गुलामी, परिणाम=विनाशकारी+पुन्रुधारक, विनाशकारी:१-= किसानों /मजदूरों, २-सोने की चिडिया=आर्थिक शोषण, 3-मानसिक शोषण, 4-हिंसा, 5-फ़ुट डालो, ५-कु संस्कृतियाँ, ६-दमनकारी कानून, ७-भाषण की परतंत्रता, ८-जमीनों कब्ज़ा, ९-विदेशी माल/ baazar पुन्रुधारक= १-प्रशास्किये एकीकरण, २-Modern Transport, ३-आधुनिक शिक्षा, ४-समाचार पत्र, ५-दार्शनिक चेतना- विवेकानंद=जातिवाद/मूर्ति पूजा ६-धार्मिक सुधारवाद; ७-डाक व्यस्था/Telegraphy, ८-राष्ट्रिये चेतना परासर हुआ, ९-संगठन बने १०-गाँधीवादी उदारवादी उदय; ११-संगठन बने; १-धार्मिक सुधारवादी आन्दोलन- १-आर्यों/ ब्रहामंवाद पर प्रहार; २-अंधविश्वास प्राहार, ३-अकेश्वेर्वाद, सर्वधर्म, उदारवाद, ४-लिंगभेद/असमानता/छुआछुत प्राहार, ५-कुप्रथा उन्मूलन=सति, बालिका हत्या, बहु विवाह, भाग्यवाद, सांस्कृतिक सुधार, २-ब्रह्म समाज आन्दोलन= 1828 रजा राम मोहन- एकेश्वेर्वाद, मूर्तिपूजा, सूफीवाद प्रचार, सर्वधर्म, सति/बाल विवाह/ विधवा पुनर्विवाह, ब्रिटिश शिक्षा प्रचार, स्वतंत्र प्रेस, धर्मनिरपेक्ष, 19 शताब्दी अंत में आन्दोलन कमज़ोर; ३-प्रार्थना सभा-परमहंस मण्डली, मूर्तिपूजा विरोध, 1857 M.G. Ranaday, Sh. भंडारकर, चंद्व्रकर शैक्षिक संस्थ्यें, ४-आर्य समाज आन्दोलन- स्वामी D.Nand Saraswati- हिंदू पुनर्जागरण, आधुनिक शिक्षा, वेदों प्रचार, कुप्रथाओं, समानता, 1886 में DAV Colleges मात्रभाषा में शिक्षा, 1902 =हरिद्वार गुरुकुल कांगडी स्थापना-धरम पर बल ५-रामकृषण मिशन: रामकृष्ण परमहंसके शिश्ये स्वामी विवेकानंद - भक्ति/मोक्ष/पुनर्जनम आदि बल, धर्म का प्रचार, मशीनीकरण समर्थन, जातिवाद/अंधविश्वासों; थीओफेसिकल सोसाइटी: 1875 New York- में HP Blavatsky सच्चाई की खोज, एनी बेसेंट ने, पुराने धर्मों-हिंदू/ बौध/ जर्तुस्थ पुनरजीवित, जातिवाद, भाईचारा, भारतीये शिक्षा, Indian National Congress Join, :मुस्लिम समुदाय में पुनर्जागरण: मुस्लिम उम्मीद नही, अलगाव हुआ, 1873 मोहम्मद लिटरेरी सोसाइटी स्थापना, पश्चिमी विचारधारा, शिक्षा बढ़ावा, सय्यद अहमद खान=अलीगढ आन्दोलन, 1864-Scientific Society, उर्दू पत्रिका=जह्जिब अल अख़लाक़, वैज्ञानिक चिंतन शुभ, मुस्लिमों अपने को शिक्षा से दूर, कुरीतिओं हटाने कोशिश, अहमद ब्रिटिश सरकार के समर्थक थे, कोंग्रेस का विरोध, हिंदू प्रभुत्व बजाये ब्रिटिश अधीन रहेना बेहतर समझा, सय्यद की मृत्यु मुसलमानों अंग्रेजों प्रति दृष्टिकोण परिवर्तन, लेकिन हिंदू से नफरत बढ़ी, अलीगढ स्कूल स्थापना; आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय: 1970 बाद, ब्रिटिश से समर्थन आशा हुई, 1860 आशा निराशा, ब्रिटिश कुरीतिओं चालों का पता चला, नारौजी/ M.G. Ranaday/ Gopal Gokhle/ R.C. दत्त आदि ने अर्थशास्त्र धारणा प्रतिपादित, अख़बारों, लेखों, भाषणों, गरीबी बढ़ी, ब्रिटिश उद्योग को लाभ, भारतीये उधोग नुक्सान, घटक बारंबारता बढ़ी, कृषि हानी, भू राजस्व भारत की कुल बचत का ३३% था, आकाल/विपदा, उग्रवादी/आतंकवादी/गाँधीवादी आन्दोलन; राष्ट्रवाद का उदय तात्कालिक करण: 1857 बढती गरीबी+ किसानों असंतोष + 1870 में कृषि मंदी, क़र्ज़, लगान अधिक, 1870-1899 आकाल, विक्टोरिया/दिल्ली दरबार विरोध; हिंदू हथियार विरोधी कानून,
1879-सूती कपड़े आयत शुल्क समाप्त पूंजीपति वर्ग भी आंदोलनों में शामिल, 1883 Illbert Bill (लोर्ड रिपन)- यूरोपियन मुक़दमे यूरोपियन जज के विरोध में था, 1978-वर्नाकुलर एक्ट = प्रेस स्वंत्रता, भारतीये राष्ट्रिये कांग्रेस स्थापना; अंग्रेज़ी शिक्षा भूमिका: मैकाले ने शोषण हेतु प्रसार लेकिन उल्टा हुआ, सामाजिक आर्थिक व्यस्था में परिवर्तन ओर राष्ट्रिये प्रभाव- मुग़ल, पठान, सामंतवादी इसलिए सोने की चिडिया के पर नही कटे, ब्रिटिश - पूंजीवादी / तकनिकी इसीलिए कमर तोडी, जमींदारी प्रथा लागु, भूमि को व्यक्तिगत संपत्ति बनाया, ग्राम समाज आत्म निर्भरता तोडी, पंचायती हटाकर अदालतों/थाना/ पटवारी/ केन्द्रभूत राज्ये बने; रेल पथ निर्माण: 1853 रेल निर्माण शुरू, कचे माल को बंदरगाहों तक, उद्देश्ये=भारत के कोने कोने तक युरोपिए माल/सेना विद्रोह लगाम हेतु, लेकिन संचार आदान प्रदान लोगों में एकता बढ़ी, प्रेस/साहित्य की भूमिका: सराहनीय है, 1878 वर्नाकुलर एक्ट- Lord Rippon ने हटाया, राष्ट्रीयता/एकता पैदा हुई, इंडियन मिरर, बम्बई समाचार, हिंदू पेत्रिएत, अम्रिग बाजार पत्रिका, दी हिंदू, दी बंगाली, दी पंजाबी, राष्ट्रिये साहित्य आन्दोलन, (1850-1884 भारतेंदु हरीशचन्द्र, बंकिम चंद्र, रविन्द्रनाथ, इल्बर्ट बिल- 1880 लोर्ड लिटन के बाद लोर्ट रिपन ने कार्यभार- 1873 जज; इसके विरोध में 1883 इल्बर्ट बिल, उदेश्ये समानता, लोर्ड रिपन की आलोचना, अंग्रेज़ी के विरोध ने हिन्दुओं में नफरत, स्वदेशी का नारा: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी=Indian Associacion स्थापना, सिविल सेवा की परीक्षा प्रणाली में सुधार की मांग; 1884- मद्रास महाजन सभा: मद्रास presedency पर आधारित था, पुन सार्वजानिक सभा के साथ चला, मद्रास Netive Association के साथ, बाद में प्रतिबंधित/ गाँधी, राजनैतिक संगठनों का उदय : INC - Indian National Congress- स्थापना=1885, Allan Octavian Hume, दादाभाई नोरोजी, Dinshaw Wacha, Bonerjee, Banerjee, Monomohun Ghose, एंड William Wedderburn, सुरक्षा नलिका, बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी- 20/apral/1843, and 1851-British India Associ. परन्तु यह संगठन जमींदारी तथा घनिक वर्गों हित इसीलिए जनाधार नही, 1852-Madras Native Associ. - जिसने ब्रिटिश को ज्ञापन भेजा=भू राजस्व भार, अद्याचार, अत्यधिक भार, न्यायलों की अकुशलता, महँगा न्याय, प्रशासनिक कमियां/ नौकरिओं में भारतीयों को शामिल, शिक्षा सुधार, व्यापार सुधार, 1857 ब्रिटिश ग़लत नीतियों पनपी- राजाओं, सामंतों, जमींदारों के साथ गठजोड़, 1870-शिक्षित वर्ग चेतना, 1866-दादाभाई नारौजी- लन्दन में East India Society स्थापना (ब्रिटिश जनमत हेतु); 1870-पुन सार्वजानिक सभा, 1885-Firozshah Mehta, K.T. Telang, Badruddin Tybzi ने-Bomba Presidenci Asso. बनाई, 1883-Indian Asso. नागरिक सेवाओ/प्रेस स्वंत्रता पर अखिल भारतीये confrence कर चुकी थी, भारतीये राष्ट्रिये कोंग्रेस स्थापना ह्यूम विवाद: ह्यूम सरकारी पदाधिकारी/पक्षी विज्ञानी- वाइसराय डफरिन की सलाह पर कार्ये, खुफिया रिपोर्ट के सात खंड प्राप्त हुए, भारत का असंतोष दिखा, ह्यूम ने सरकार इशारे पर Congress स्थापना -सुरक्षा नलिका, जिससे की बुध्हिजिवी वर्ग राष्ट्रिये असंतोष अभिव्यक्त कर सकें, कांग्रेस को सुरक्षित यंत्र के रूप में प्रयोग; उदारवादी चरण :(1885-1905)- कांग्रेस स्थापना (ऊपर वाला सारा), पूंजीवादी हितों चला, ब्रिटिश का विरोध, नारौजी, गोपाल कृष्ण गोखले, रानाडे, बनर्जी, लाल मोहन घोष, फिरोजशाह मेहता, मल्विये, स्वदेशी का प्रचार, कांग्रेस उदारवादी थी- भारतीये मांगों का समर्थन, होम रूल, पूंजी बहिर्गमन विरोधी, उदारवादी संघर्ष, प्राम्भिक नेता ना तो ब्रिटिश से नाता तोड़ना ना ही क्रन्तिकारी थे, भाषण, बैठकें, प्रास्ताव पास, नरमी से बात होती थी, मुस्लिमों ने सय्यद अहमद खान का नेतृत्व स्वीकार, 1906 All India Muslim Legue स्थापना- लीग राष्ट्रिये कम थी सम्प्र्दैक अधिक, उग्रवादी चरण (1905-1914)- बेरोज़गारी बढ़ी, नौकरियन कम थी, १९वी शताब्दी में भीषण आकाल, बंगाल विभाजन हुआ, असंतोष बढ़ा, उग्रवादी नेता= (१) उग्रवादी (extremists) (२) आतंकवादी (terrorist)-बगावत, बालगंगाधर तिलक, अरविन्द घोष, बी सी पल, लाला लाजपत राइ, स्वाराज्ये का नारा, विदेशी वस्तुओं/ सरकारी नौकरिओं/ देसी विध्यालाये स्थापित/ झगडे ब्रिटिश अदालतों kee बजाये पंचायेतों se सुलझाना, बहिष्कार, डकैतियां, हत्याओं, बम, पिस्तौल, क्रांतिकारी, बंगाल, महाराष्ट्र, मद्रास पुनजब मुख्य केन्द्र, 1908- तिलक हिरासत में, ६ दिन हड़ताल, अवज्ञा आन्दोलन, युध्कालीन चरण: (1914-1919)- अरविन्द घोष राजनीती से संन्यास, 1914- प्रथम विश्वयुद्ध- आन्दोलनों को अन्तरराष्ट्रिये समर्थन मिला, रुसी क्रांति(1917)=जार ke उपनिवेशों को स्वतंत्र घोषित किया, मजदूरों/किसानों संगठित hua/ अंग्लो टर्किश संघर्ष/ विश्व्यौध का ब्रिटिश पर प्रभाव, वामपंथी उदय, गाँधी यूग/स्वाराज्ये जन संघर्ष-(1919-1939)- 1914-19 तकलीफें /मुनाफाखोरी/ इन्फ़्लुएन्ज़ा/ गाँधी आगमन- आंदोलनों को जनसाधारण/बहुवार्गिये रूप, अफ्रीका, सत्ये/अहिंसा/प्रेम/ सर्वधर्म/ चंपारण सत्याग्रह (1918-Champaran Agrerian Act)-किसानो शिकायतों (नील खेती-लगान)- जांच आयोग गठित, खेडा में लगान वसूली रुकवाई, 1919-सत्याग्रह -रौलट बिल विरोध, 6/April/1919-आम हड़ताल, 13/Apr=जलिअवाला बैग, गोली, दयेर, 1000 लोगों जान, 1000 घायल, हंटर कमिटी रिपोर्ट=दयेर=गंभीर अनुमानिक त्रुटी, सेव्रे संधि =मुसलमानों में आक्रोश, प्रथम असहयोग आन्दोलन (गाँधी): Sept/1920-Colcotta, कांग्रेस असहयोग आन्दोलन गाँधी ke नेत्रित्व में पंजाब और खिलाफत तक गलतियाँ सुधारो, स्वाराज्ये की maang, अगस्त १९२०-असहयोग आन्दोलन- गाँधी bharat दौरा, सभाएं, अदालतों बहिष्कार, विदेशी बहिष्कार, नेहरू, पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, राजगोपालाचारी ने वकालत छोड़ दी, छात्रों ne स्कूल बहिष्कार करके जामिया मिलिया इस्लामिया/कशी/ बिहार विद्यापीठ आदि में दाखिला लिया, स्वरोजगार दिलाया, हिंदू मुस्लिम एकता बढ़ी, ड्यूक ऑफ़ कनाट आगमन विरोध, कैदी रिहा करो, गुजरात -बद्रौली गाँव/चौरा चौरी=अवज्ञा आन्दोलन- पुलिस ने गोली चलाई थानों में आग, २२ सिपाही मरे, चरखे का प्रयोग, नशाबंदी, स्वराज पार्टी की स्थापना : बद्रौली-नेहरू/चितरंजन दस-लक्षी=Dominian स्टातेस sthapna, + श्रमिकों के हक की बात चली, लेकिन नीतियन बदली और बर्जुआ के हितों की बात होने लगी, सम्प्रदैक तनाव: मुस्लिम लेगुए, 1924-दिल्ली लखनऊ, इलाहाबाद, जबलपुर नागपुर में दंगे, भयंकर, 1925 में 16 दंगे, साइमन कमीशन: 1927 ब्रिटिश ने सर जॉन साइमन नेत्रत्व, उदेश्ये= भारत में सुधार + संसद विस्तार हुआ की नही, दल में कोई भी भारतीये नही था, पार्टियों असंतोष बढ़ा, गोलमेज़ सम्मलेन, भारतीये आत्म सम्मान ठेस; पूर्ण सवराज्ये घोषणा- नेहरू, बोस, मद्रास, ३१ दिसम्बर घोषणा- ब्रिटिश रिपोर्ट स्वीकार नही करती तो- अवज्ञा आन्दोलन, ३१ दिसम्बर १९२९ रात १२ बजे- नेहरू रवि किनारे झंडा, मार्च 1931 गाँधी इर्विन समझौता -बंदिओं को रिहा, कराची अधिवेशन, गाँधी इंग्लैंड से खली हाथ, द्वित्ये महायुद्ध= राष्ट्रिये आन्दोलन का अन्तिम चरण- भारतीये नेता विषम स्थिति, जर्मनी द्वारा पोलैंड आक्रमण निंदा, १५ सितम्बर १९३९- युद्घ का उदेश्ये विशेषाधिकारों की रक्षा, मुस्लिम लीग अलगाव, आंबेडकर को अछूतों की चिंता; भारत छोडो आन्दोलन: गाँधी गिरफ्तार, सभी प्रमुख नेता अहमदनगर किले में नज़रबंद, चर्चिल ने त्यागपत्र, शिमला बैठक=वायसराय की कर्येसमिति में भारतीये शामिल करो, हिंदू मुस्लिम समान अनुपात पर चर्चा चली, जिन्ना असंतोष, ब्रिटिश लीग हस्ताक्षर करने को तयार ना थी= चाल थी फ़ुट डालो राज करो; सोवित संघ + अमेरिका महान शक्तिओं उभरे: दोनों देश भारत के पक्ष में थे, ब्रिटिश की सनिक शक्ति को धक्का लगा, 1942- में आजाद हिंद फोज मुकदमा, बढ़ता असंतोष, फरवरी 1946 -नौसेना हड़ताल, 23-March-1946= kabinet mishan bharat aaya, vichaar vimarsh, 1946- ज ल नेहरू-नेत्रित्व में कांग्रेस सरकार गठन, + मुस्लिम लीग भी साथ में थी, Lord Mountbatn भारत आया= मुस्लिम लीग में भयंकर मतभेद, 15-Aug-1947 - तिथि तय हुई + भारत पकिस्तान विभाजन; नतीजा: कुरीतियाँ गईं, स्वशासन..... ; लोकतंत्र, नागरिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता, आर्थिक विकास,